Tuesday 30 August 2016

तुझको पाकर सारा जहां पालिया मैंने




तुझको पाकर सारा जहां पालिया मैंने …

क्या करूंगा इस समंदर का?
तेरी आँखों में डूबकर  स्वर्ग पालिया मैंने।

क्या करूंगा इस धरती का?
तेरे सब्र की आगोश में सुकून पालिया मैंने।

क्या करूंगा इस नदिया का?
तेरे प्यार में बहकर सुख का सिरा पालिया मैंने।

क्या करूंगा इस आसमान का?
तेरी बाहों के पंखों के सहारे विश्व को पालिया मैंने।

क्या करूंगा इस ख़ुदी का?
तेरे वजूद में ख़ुद को खोकर तुझको पालिया मैंने।

तुझको पाकर सारा जहां पालिया मैंने …

***



No comments:

Post a Comment